गुरुवार, 7 जून 2012

पॉयनियर अखबार में अवैध रूप से पैसा लगा रहे मुख्य मंत्री अर्जुन मुंडा की पोल खोलने वाले निर्भीक पत्रकार को जेल


पत्रकार पर गुंडा बनकर टूट पड़ी अर्जुन मुंडा की पुलिस


31 मई की रात्रि 12.30 बजे झारखंड की राजधानी राँची में राजनामा डॉट कॉम के संचालक-संपादक मुकेश भारतीय को राँची शहर से 22 किलोमीटर दूर ओरमाझी स्थित उनके घर से झारखंड पुलिस के गोंदा थाना एवं ओरमाझी थाना के 9 राइफलधारी पुलिस के जवानों ने जिस प्रकार से एक पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार करते हुए धर दबोचा, ऐसा कोई खुंखार आतंवादी को पकड़ने में किया जाता है। मुकेश भारतीय के ओरमाझी स्थित उनके घर की दूसरी मंजिल (छत) पर दूसरे के मकान पर चढ़कर धर दबोचा गया साथ ही उनके लैपटॉप, मोबाइल एवं इंटरनेट मोडम भी उठाकर ले गये।
पुलिस की इस बर्बरतापूर्ण व्यवहार से झारखंड की कानून-व्यवस्था तो शर्मसार हुई ही, मानवाधिकार की धज्जी उड़ा गयी ये झारखंड की बर्रबर पुलिसिया कहर, लेकिन यहाँ के स्थानीय प्रिंट मीडिया एवं टीवी चैनलों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। किसी ने इस बात की सुधि लेने की कोशिश नहीं की, जबकि राँची स्थित सभी प्रिंट मीडिया,  चैनलों एवं समाचार एंजेसियों को उनकी पत्नी ने रात भर फोन पर अपनी दुखड़ा सुनाती रही।
मुकेश को आतंकवादी की तरह धर दबोचने के पीछे की कहानी यह है कि पवन बजाज राँची का एक दबंग बिल्डर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि झारखंड सरकार के मुखिया श्री अर्जुन मुण्डा का खासम-खास आदमी है, उस पर एक कोयला व्यावसायी की हत्या का भी इलजाम है। इससे संबंधित मामला सीबीआई में लंबित है। राँची में आम चर्चा है कि पवन बजाज ने पॉनियर अखबार के राँची संस्करण की फ्रेंचाइजी पॉनियर के मालिक चंदन मित्रा से 1 नवम्बर को अपने नाम 80 लाख देकर करा लिया है, जो  31 अक्तूबर 2011 तक विनोद सरवगी के नाम पर था। इस अखबार में जो पैसा लगा है, वह सूबे के मुख्यमंत्री अर्जुन मुण्डा का है। दिखाने के लिए पवन बजाज द्वारा संचालित किया जा रहा है। और सरकार के एक महत्वपूर्ण विभाग के बड़े अधिकारी से लेकर छोटे अधिकारी तक इसमें अपना योगदान दे रहे हैं। कहा तो यह भी जाता है कि शाम 5 बजे के बाद सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक आलोक कुमार गुप्ता, सहायक निदेशक अजयनाथ झा, सहायक निदेशक  एवं अपर सचिव राजीव लोचन बक्शी भी पॉनियर के दफ्तर में देखे जाते हैं। यानी सरकारी काम के साथ साथ पॉनियर अखबार को चलाने का जिम्मा भी इन्हीं अधिका को सौंपा गया है। इस में क्या सच्चाई है, मुकेश द्वारा बेव साइट पर प्रकाशित किये गये समाचार के बाद भी किसी ने अभी तक इसका खंडन नहीं किया है।
इसी आशय का समाचार मुकेश भारतीय ने अपने वेबसाइट राजनामा डॉट कॉम पर प्रकाशित किया था। इसी समाचार के असलियत से तिलमिलाकर मुख्यमंत्री सचिवालय के एक अधिकारी के इशारे पर पवन बजाज ने मुकेश भारतीय पर 15 लाख की रंगदारी मांगने के आरोप लगा कर गोंदा थाना में एक एफआइआर दर्ज करवा कर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 385, 387, 66ए, 66बी, एवं 67 के तहत आज 11 बजे राँची स्थिति बिरसा कारा, होटवार भेजे दिया गया।
मुकेश भारतीय के सभी ब्लॉग से पायोनियर और अर्जुन मुंडा की साठ -गांठ वाला खबर गायब कर दिया गया है , आज से उनके वेबसाईट  http://www.rajnama.com/ का लिंक भी नहीं खुल रहा है |
इस पुलिसिया बारदात से यह साफ जाहिर होता है कि झारखंड में लोकतंत्रा का लोप हो गया है। और व्यवस्था गुंडे मवालियों के हाथों में आ गयी है। किसी नागरिक की सुरक्षा यहाँ पर खतरे में है। जंगल राज का द्योतक झारखंड की व्यवस्था हो गयी है। जहाँ किसी की जान-माल की सुरक्षा अनिश्चित है। इसी का परिणाम है कि आये दिनों दिन-दहारे बलात्कार, छिनतई, चोरी, अपहरण, एवं हत्या आम बात हो गई है। एक बात उल्लेखनीय है कि अर्जुन मुण्डा की हेलीकॉप्टर दुर्घटना बाद से अपने बिछापन पर ही पड़े-पड़े उसी मजबूरी की हालत में राजकाज भी चलना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री की लाचारी का गलत फायदा उठाते हुए मुख्यमंत्री सचिवालय के एक कनीय आइएफएस अधिकारी, दलालों, बिल्डरों और दबंगों के साथ मिल कर अपनी मनमानी चला रहे है। इसी मनमानी का एक नमूना है कि एक स्वाभिमानी वेब-पत्रकार मुकेश भारतीय को सुनियोजित रूप से  एक साजिश के तहत रंगदार बनाने पर तुले हुए हैं। मुकेश भारतीय ने पायनियर अखबार और प्रदेश सूचना विभाग की मिलीभगत के खिलाफ़ कुछ रिपोर्टो को भी प्रकाशित किया था। बताया जाता है कि इन रिपोर्टों से बौखलाकर पायनियर, रांची के फ्रेंचाइज़ी धारक और प्रकाशक पवन बजाज ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज़ कर मुकेश भारतीय को सोते वक्त घर से उठवा लिया।
यहाँ एक अहम सवाल खड़ा होता है कि मुकेश भारतीय पर पवन बजाज के अखबार पॉयनियर के काली करतूतों को उजागर करने के बाद ही रंगदारी मांगने का आरोप क्यों लगया गया? यदि मुकेश को रंगदारी ही मांगनी होती तो पहले भी मांग सकता था। इस सवाल से यह साफ जाहिर हो जाता है कि पवन बजाज एंव मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारीयों की कुत्सित मंशा कितनी खतरनाक एवं खोपजदा था। वहीं उन्होंने यह दिखला दिया कि कानून-थाना-पुलिस वे अपने ठेंगे पर जब चाहें रख सकते हैं।
यह बड़े आश्चर्य की बात है कि 24 घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज करली जाती है, गिरफ्तार कर ली जाती है और जेल भी भेज दिया जाता है। इस पर अनुसंधन करने की कोई आवश्यकता महसूस नहीं की गयी। क्या झारखंड पुलिस सब के साथ ऐसी ही करती है? यह भी ज्ञात हो मुकेश भारतीय द्वारा सूचना एवं जन संपर्क विभाग से कुछ सूचनाधिकार के तहत कई बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी। उक्त सूचना को समय बीत जाने के बाद भी नहीं देने के बाद, जब मुकेश ने अपनी बात को विभाग के अपर सचिव-सह-प्रथम अपीलीय पदाधिकारी  राजीव लोचन बक्शी के सामने रखी तो वे मुकेश को यह आश्वासन दिया कि आपको 5 दिनों के भीतर सूचना दिलवा दी जायेगी, फिर 18 दिनों बाद पुनः इसी बात को उक्त अधिकारी के समक्ष दोहराया तो उक्त अधिकारी  ने कल यानि कि 31 मई 2012 को सूचना देने के लिए व्यक्तिगत रूप से अपने कार्यालय में बुलाया था, लेकिन भारत बंद होने के कारण मुकेश सूचना लेने नहीं पहुँचा। और इसी तिथि की आधी रात को उसे पुलिस द्वारा धर  दबोचा गया। उक्त घटना के बाद पुलिस की निष्पक्षता संदेह के घेरे में आ गयी है। ऐसी हालात में उक्त पत्राकार को न्याय दिलाने के लिए पवन बजाज एवं संबंधित  अधिकारियों के संदेहात्मक कृत्यों की सीबीआई एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा जाँच कराई जाय।विस्फोट.कॉम से साभार  http://visfot.com/home/index.php/permalink/6524.html

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें