गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

बड़े मिडिया कर्मियों को गौ हत्या के दोष से मुक्त करो ! भगवान

अब-तक तो ठीक था पर अब गौ हत्या में भी यह जादुई चीज काम आ ही गया । सच में यह बड़ा ही चमत्कारी है ------ हे भगवान रायपुर के उन {जिन्होंने मामला दबाया } बड़े - बड़े मिडिया कर्मियों को गौ हत्या के दोष से मुक्त करो !! बेचारे ---- गलती तुम्हारी भी तो है भगवान !!! आखिर तुमने उन्हें नोट का मोहताज क्यों बनाया ?
मुझे तो तुमने कहीं का नहीं रखा । मेरी गृहस्थी अब तुम्हारे हाथों में है । अब मेरी अर्धांगिनी के सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं दिखाई दे रहा है ? आँखों में आंखे डाल वह पूछ रही है कि इसी दिन के लिए 27-28 वर्ष परिवार की जवाबदारी नहीं निभाई ? परिवार को व खुद की जान तक खतरे में डाल कर इतने वर्षों में खाते में इतना इंतजाम भी नहीं कर पाया कि अचानक बच्चों के बीमार पड़ने पर कुछ हजार रूपये भी जुगाड़ जाये । सवाल तो मै भी अपनी स्वर्गीय दादी से पूछना चाहता हूँ ------? दादी तुम तो कहती थी की जीत अंततः सच्चाई की होती है !!! दादी तुमने पंचतंत्र और धर्मग्रंथों से नैतिकता की कहानी सुना - सुना कर इस दुनिया के लिए मुझे अनुपयोगी बना दिया । दादी तुम्हारी ही बात मानकर हर बार न्याय, पीड़ित , प्रताड़ित के साथ और तुम्हारे दी हुई समझ के हिसाब से अत्याचारियों के खिलाफ ही खड़ा रहने की कोशिश करता हूँ । पर हर-बार अपने आप को अलग-थलग पाता हूँ ------ । क्या करूँ दादी माँ !!! तुम अब आकर देखती क्यों नहीं कि दुनिया तुम्हारे कहे जैसी नहीं है दादी माँ । सब तरफ स्वार्थ । लोग तो बोलतें है कि मै केवल इस्तेमाल की चीज होकर रह गया हूँ । हर कठिन मौके पर काम आने वाले दोस्त , ऐसे मौके पर सर का बाल खींचते देखते रहने वाला बेटा भी अब बड़ा हो गया है । वह अब बड़ी बातें करता है -- कहता है कि मै और मेरा विचार आउट आफ डेट हो गए हैं । अब तो दोस्त भी डराने लगें है कि गौ बलि की बात ज्यादा करने से नरबलि तक बात पहुँच जाएगी । वे बोलते है की एक समय में एक ही मोर्चा खोलूं --- अरे भाई जो दिखता है उससे आँखें कैसे बंद कर लूँ ? दादी अकसर तुम्हारी कहानियों में राक्षस अंततः मारा ही जाता था , उन राक्षसों का प्राण किसी पिंजरे में बंद किसी तोते में या किसी और जगह हुआ करता था । दादी बताओ ना इस बार राक्षस का प्राण कहाँ 
छिपा है ?

तेरे बाज़ू में ताकत है तो मस्ज़िद  को हिला कर देख ,वरना चल मेरे साथ 
मयखाना दो घूंट पी और मस्जिद को खुद - ब - खुद हिलता हुआ देख  

रविवार, 10 फ़रवरी 2013

देश - प्रदेश भर से कांकेर पहुँच रहे पत्रकार सावधान


कथित फर्जी आंकड़ों के सहारे रोजगार गारंटी के क्रियान्वयन के लिए हाल में ही देश भर में अव्वल रहे कांकेर जिले के भ्रष्ट्र सरपंचों ने प्रदेश भर से पहुँच रहे वसूली बाजों से परेशां होकर चोरिया कांड का फायदा उठाने की ठान ली है । ज्ञात हो कि चोरिया गाँव में भ्रष्ट्राचार के आरोपी सरपंच के साथी ग्रामीणों ने जिला प्रशासन व पुलिस की शय पर हाल में ही एक पत्रकार और नेता की जानकारी अथवा हिस्सा { अभी जाँच जारी है } मांगने पर पिटाई कर दी थी । ये भ्रष्ट्र सरपंच इस बात को लेकर नाराज है कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा विकास कार्य के लिए उपलब्ध कराये फण्ड का बड़ा हिस्सा तो सप्लायर, ठेकेदार ,अधिकारी , बाबू और बड़े नेता खा जा रहे है । उनके हिस्से के बचे-खुचे हिस्से में ड़ाका डालने पत्रकार नुमा जानवर खुलेआम और सूचना कार्यकर्त्ता का लबादा ओढ़ कई लोमड़ी कभी भी गाँव पहुँच उन्हें डराते रहतें है । उनके हिस्से में क्या जेल और बदनामी ही आएगा ? क्या इसी लिए अपना खेत बेचकर उन्होंने चुनाव जीता था ? अब उन्होंने एक होने की ठान ली है । पता चला है कि उन्होंने आज ही कांकेर के नजदीक एक गाँव में बैठक कर निर्णय लिया है कि अब किसी भी गाँव में पत्रकार या सूचना कार्यकर्त्ता नामक जीव को देखते ही धर - बाँध कर मारते हुए थाना तक लाना है । बाकि काम सम्बंधित सीइओ का रहेगा । भ्रष्ट्र सरपंचों ने एकस्वर में सहमति ब्यक्त की है की "आदिवासी" इलाके के "पिछड़े" सरपंचों को एक-दो लाख तक के भ्रष्ट्राचार की छुट मिलिनी चाहिए ।गाँव में घुसने देने अथवा नहीं देने को लेकर जनसंपर्क द्वारा अधिकृत व अधिकारीयों द्वारा अनुसंशित पत्रकारों की सूचि भी सभी ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराये जाने की मांग पर भी चर्चा की खबर है । संभवतः इस आशय का ज्ञापन भी कल जिलाधीश कांकेर को सौंपा जा सकता है । इधर ग्रामीण रिपोर्टिंग करने वाले कुछ जीवट किस्म के पत्रकार इस खबर के बाद अपने दायित्व के निर्वहन को लेकर चिंतित है जबकि सचिव व सरपंच के भरोसे जीवन यापन करने वाले बेरोजगार किस्म के पत्रकार किसी अन्य धंधे में उतरने की सोच रहे हैं । दोनों ही स्थिति से कानून ब्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न हो सकने की सम्भावना दिखाई दे रही है । मार खाने व ब्लेक मेलिंग के आरोप से बचने के लिए कर्मठ व ईमानदार पत्रकार कृपया जिले के जनसंपर्क अधिकारी को सूचित कर अथवा लिखित अनुमति लेकर अथवा निकटम पुलिस थाने में लिखित सूचना देकर अथवा पुलिस अधीक्षक या जिलाधीश अथवा पुलिस अधीक्षक व जिलाधीश को साथ-साथ सूचना देकर व उसकी पावती लेकर ही गाँव में प्रवेश करें । कृपया ध्यान रखें आवेदन में विषय जरुर स्पष्ट करें , जिला प्रशासन और सरकार पहले ही एक से बढ़कर एक खुलासे से परेशान है । जन हित में कुछ मो नंबर जारी है ।
जन सम्पर्क अधिकारी --- श्रीमती अंजू नायक मो --942528991
जिला पुलिस अधिकारी ---राहुल भगत मो --9425285792
जिला कलेक्टर श्रीमती अलरमेल मंगई डी मो --9425532380